"लगे जो तुक्का तो शायद वो तीर हो जाये ,
फटे जो दूध तो वो फिर पनीर हो जाये ,
मवालियों को न देखा करो हिकारत से ,
न जाने कौन सा "गुण्डा" वज़ीर हो जाये...!" by kumar vishwas
फटे जो दूध तो वो फिर पनीर हो जाये ,
मवालियों को न देखा करो हिकारत से ,
न जाने कौन सा "गुण्डा" वज़ीर हो जाये...!" by kumar vishwas
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